आप सभी का ह्रदय से धन्यबाद देता हु
आभार प्रकट मै AAP सभी का करता हुआ

नहीं जनता था लोग इतना पयार
AAP को करते होंगे
एक आवाज पर केजरीवाल की
जान नेओछावर करने वाले
भारत माँ के लाल इतने होंगे

माँ भारती भी देख भीड़ , ख़ुशी से झूमेगी
जाग चुके है लाल मेरे , तब सोचेगी
चिंता मुक्त मै अब हो जाती हु

भार्स्ताचार का नाश मेरा बेटा ,
केजरीवाल करके ही दम लेगा ,
आपने माँ की आवाज को
बुलंद वो कर देगा

साथ वो सव्जनो का लेगा
भ्रस्ताचारियों को .मिटा कर .,
ही दम लेगा

साथ सव्जनो को ,
केजरीवाल का देना होंगा
भ्रस्ताचारियों को .मिटा कर ,
माँ भारती को ,जिन्दा फिर करना होंगा

यही आशा मै, आप सभी ,के साथ ,
खुद से भी करता हु
माँ भारती के चरदों ,की सौगंध मै लेता हु

आजादी की इस दूसरी लड़ाई मै
साथ आखिर तक नीभुनान्गा
अंत समय नीव का पत्थर बन जाउंगा

यह कह कर माँ भारती के
chardon मै प्रणाम करता हु
साथ आप को लेकर मै
मुहीम मै आगे बढता हु






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KEJRIWAL___gandhi___-_Copy_(2)___20140410012955___.jpg
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आप सभी का आभार more  
Great! Go ahead and clean the dust all over the country. From: support@localcirclesmail.com To: dr_hariom@hotmail.com Subject: New picture "आप सभी का Date: Thu, 10 Apr 2014 11:13:09 +0000 more  
ANAND SHARMA" wrote: यह देश न मोदी से बदलेगा न केजरीवाल से नीरेंद्र नागर Tuesday April 08, 2014 मंगलवार की शाम नई दिल्ली स्टेशन पर गया था पत्नी को छोड़ने। प्लैटफॉर्म टिकट के लिए एक ही काउंटर खुला था और वहां 25-30 लोगों की लंबी लाइन थी। मैं लाइन में लग गया और बारी का इंतज़ार करने लगा। तभी देखा कि कुछ लोग काउंटर के पास मंडरा रहे थे। मैं समझ गया, वे बिना लाइन के टिकट लेने के मूड में हैं। मैंने अपने आगे वाले और पीछे वाले सज्जनों से कहा, ़’मैं काउंटर पर बेलाइन टिकट लेनेवालों को रोकता हूं। आप बारी आने पर मुझे घुसने देना।’ उनसे अनुमति लेकर मैं काउंटर पर खड़ा हो गया और जो भी वहां आता, उनको हटवाता गया। कुछ लोग तो शराफत से चले गए लेकिन दो-तीन युवक झगड़े पर उतारू हो गए। मैंने कहा, ‘मैं यहां किसी को बिना लाइन के टिकट नहीं लेने दूंगा।’ बीच में केवल वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं को टिकट लेने की अनुमति दी। घुसपैठिए किनारे लग गए तो लाइन तेज़ी से भागने लगी। मैंने भी अपने बारी आने पर टिकट ले लिया। मुझसे पहले टिकट लेनेवाले सज्जन ने हाथ मिलाकर मुझे शाबासी दी। काउंटर क्लार्क ने भी कहा कि आपने अच्छा काम किया। मैंने जाते-जाते पीछे मुड़कर कहा, ‘अब पीछे से किसी और को आगे आना होगा और यहां खड़े होकर बेलाइन टिकट लेनेवालों को रोकना होगा।’ मेरी आंखें उन बंदों को खोज रही थी जिनको मैंने लौटा दिया था। वे लाइन में नहीं नज़र आ रहे थे। पत्नी ने बताया, ‘उन्होंने सेक्युरिटी गार्ड को कुछ पैसे दिए और वह किसी और काउंटर से टिकट ले आया।’ मैं मुस्कुराया। हां, मैं उन लोगों को बिना लाइन के टिकट लेने से नहीं रोक पाया लेकिन मैंने उन्हें मेरा हक और बीस-तीस और लोगों का हक मारकर पहले टिकट लेने से रोक दिया। लेकिन क्या यह काफी था? क्या इससे हालात में कोई बदलाव आएगा? मैं सोचने लगा और मेरे कल्पना जगत में प्लैटफॉर्म टिकट की उस लाइन में लगे लोग अचानक लाखों-करोड़ों में बदल गए और पूरे देश में बिखर गए। मुझे वे हज़ारों कतारों में खड़े दिखने लगे। हर कतार में कुछ सुविधाएं मिलनी थीं। कहीं राशन का सामान, कहीं सस्ती और मुफ्त दवाएं, कहीं सस्ता मकान, कहीं अच्छे स्कूल में प्रवेश, कहीं मनरेगा की राशि, कहीं बैंक लोन, कहीं स्कॉलरशिप, कहीं नौकरी, कहीं परमिट। हर लाइन में काउंटर के आसपास और भीतर भी कुछ हरकतें हो रही थीं। कुछ लोग ‘बिना लाइन’ के वह सुविधा ले रहे थे, कुछ लोग ‘बिना अधिकार’ वह सुविधा ले रहे थे और कुछ लोग ‘रिश्वत देने’ के बाद ही वह सुविधा हासिल कर पा रहे थे। और कुछ लोग ‘बिना सुविधा’ पाए ही लौट रहे थे। दुख की बात कि ये वे लोग थे जिनको इस सुविधा की सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी। मेरे ज़ेहन में यह सवाल आया - क्या यह स्थिति कभी बदलेगी? कांग्रेस तो 62 सालों में यह स्थिति नहीं बदल पाई। लेकिन क्या दिल्ली में अरविंद केजरीवाल या केंद्र में नरेंद्र मोदी के आने से इस स्थिति में कोई बदलाव आएगा? मुझसे पूछें तो मेरी राय है कि AK या NM के आने से हालात नहीं बदलनेवाले। हम पहले भी सरकारें बदल चुके हैं। बंगाल से लेकर राजस्थान तक और कश्मीर से लेकर केरल तक - हम पक्ष-विपक्ष दोनों तरफ की सरकारें देख चुके हैं लेकिन बंगाल, राजस्थान, कश्मीर या केरल, हर जगह एक जैसे हालात हैं। मेरा मानना है कि ये हालात तभी बदलेंगे जब हम बदलेंगे। हम जिनमें मोदी समर्थक भी हैं, केजरीवाल समर्थक भी हैं और कांग्रेस-एसपी-बीएसपी समर्थक भी हैं। मेरा सवाल आज कांग्रेस समर्थकों से नहीं है क्योंकि ऐसा लगता है कि वे हालात बदलना नहीं चाहते या उनको लगता नहीं कि किसी और को सत्ता सौंपने से हालात बदलेंगे। इसलिए मेरा सवाल केवल उन पाठकों से है जो अरविंद केजरीवाल या नरेंद्र मोदी के सपोर्टर हैं और जो कहते हैं कि हम बदलाव लाना चाहते हैं। मेरा उनसे सवाल यह है कि क्या आपको लगता है कि केजरीवाल या मोदी के सत्ता में आते ही हालात बदल जाएंगे या आप हालात में बदलाव लाने के लिए खुद बदलना चाहते हैं। यदि आप खुद बदलना नहीं चाहते तो आगे पढ़ना बंद कर दें क्योंकि आगे पढ़कर आप अपना वक्त ही ज़ाया करेंगे। लेकिन यदि आप बदलाव लाना चाहते हैं और खुद भी उस बदलाव का कारक और हिस्सा बनना चाहते हैं तो आपको नीचे दी गई शपथें लेनी होंगी। 1. क्या आप यह शपथ लेते हैं कि लाइन तोड़कर कभी कोई सुविधा नहीं लेंगे - चाहे वह प्लैटफॉर्म टिकट की लाइन हो या क्लिनिक में मरीज़ों की? 2. क्या आप शपथ लेते हैं कि जिस सुविधा के लिए आप योग्य नहीं हैं, पैसे, रसूख या ताकत के बल पर वह सुविधा पाने के लिए प्रयास नहीं करेंगे? 3. क्या आप यह शपथ लेते हैं कि कभी रिश्वत देकर अपना कोई काम नहीं कराएंगे? 4. यदि आप सरकारी पद पर हैं तो क्या आप शपथ लेते हैं कि कभी किसी काम के लिए रिश्वत नहीं लेंगे, न ही किसी परिवारीय, सजातीय या स्वधर्मीय व्यक्ति के साथ पक्षपात करेंगे? 5. क्या आप यह शपथ लेते हैं कि कभी दहेज़ लेकर शादी नहीं करेंगे और परिवार में यदि किसी ने दहेज़ मांगा तो आप अपना विरोध दर्ज़ कराएंगे? 6. क्या आप शपथ लेते हैं कि जाति, धर्म और नस्ल के आधार पर किसी के साथ पक्षपात या भेदभाव नहीं करेंगे न ही धर्म, जाति या नस्ल के आधार पर किसी को वोट देंगे? 7. क्या आप शपथ लेते हैं कि हर इंसान को बराबर समझेंगे, खासकर उसको जो आपसे कमज़ोर आर्थिक-सामाजिक स्थिति में हो? 8. क्या आप शपथ लेते हैं कि आप टैक्स की चोरी नहीं करेंगे और अपनी इनकम पर लगनेवाले टैक्स का पूरा और सही भुगतान करेंगे? 9. क्या आप शपथ लेते हैं कि ट्रैफ़िक सिग्नल का सम्मान करेंगे, ज़ेब्रा क्रॉसिंग से पहले रुकेंगे और कभी किसी ट्रैफ़िक नियमों के उल्लंघन के लिए चालान भरना पड़ा तो ईमानदारी से भरेंगे न कि पुलिसवाले को रिश्वत देंगे? 10. क्या आप शपथ लेते हैं कि गर्भ में पल रहे किसी शिशु की केवल इस कारण हत्या नहीं करेंगे कि वह लड़की है? 11. क्या आप शपथ लेते हैं कि कभी किसी युवती-स्त्री को नहीं छेड़ेंगे न ही उसके बारे में भद्दी टिप्पणी करेंगे? शपथें और भी हो सकती हैं लेकिन मैंने मिसाल के तौर पर ये 11 शपथें लिखी हैं। इनमें से कुछ बातें आपको बहुत मामूली लग सकती हैं जैसे ट्रैफ़िक सिग्नल को तोड़ना लेकिन ये छोटी-छोटी बातें ही हैं जो देश के लोगों का चरित्र बताती और बनाती हैं। जब आप एक छोटा नियम तोड़ते हैं, और उस नियम को तोड़कर बच निकलते हैं तो आपके मन में कानून-कायदों के प्रति सम्मान या डर खत्म हो जाता है और आप भविष्य में वे सारे नियम तोड़ने लगते हैं जिनसे आपको ज़रा-सी भी दिक्कत या हानि होती हो - जैसे आप दिल्ली से नोएडा आते ही सीट बेल्ट निकाल देंगे या बैंक से मिले इंटरेस्ट पर इनकम टैक्स नहीं चुकाएंगे। इसीलिए मैं उन सबसे कहता हूं जो देश में बदलाव लाना चाहते हैं, इस देश को ‘श्रेष्ठ भारत’ बनाना चाहते हैं, आप सब अपने दिलों को टटोलिए और देखिए कि आप इनमें से कितनी शपथें लेने को तैयार हैं। यदि आप ये शपथें नहीं लेते और उनके अनुकूल आचरण नहीं करते तो यह भारत श्रेष्ठ भारत नहीं बन सकता चाहे केजरीवाल को सत्ता सौंप दें या मोदी को। मैं अपने स्तर पर घोषणा करता हूं कि मैं चाहे किसी को भी वोट दूं या न भी दूं (क्योंकि मेरे चुनाव क्षेत्र में कोई भी प्रत्याशी मेरी आशाओं के अनुरूप नहीं है), मैं ये सारी शपथें लेने को तैयार हूं। सच तो यह है कि इनमें से सभी का सालों से पालन कर रहा हूं। देश को बदलने में मेरा यह छोटा-सा योगदान है। लेकिन मेरे या मेरे जैसे कुछेक लोगों के बदलने से यह देश नहीं बदलेगा। इसके लिए सभी को बदलना होगा। आपको भी। लेकिन क्या आप देश को बदलने के लिए तैयार हैं? क्या आप खुद बदलने को तैयार हैं? क्या आप ये सारी शपथें या इनमें से अधिकांश शपथें लेने को तैयार हैं? more  
Obviously all honest people have gathered under Kejriwal. 2014-04-10 15:13 GMT+04:00 Pramod Agrawal : > more  
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