बिजली कटौती पर विशेष रहिमन चार्जिँग राखिए, इनवर्टर सुबह ओ शाम. इनवर्टर बिन चले नहीँ, गर्मी मेँ किसी का काम. बिजली के इंतजार मेँ, इनवर्टर हुआ फेल. सीलिँग फैन को भूल जा, हाथ से पंखा झेल. बिजली की हालत देखकर, दिया कबीरा रोय. एसी कूलर सब है घर मेँ, लेकिन चले न कोय. बड़ा हुआ सो क्या हुआ, जैसे एसी व्हर्लपूल. सुबह शाम रहती यहाँ, रोजाना बिजली गुल. रात गँवायी जाग के, दिवस गँवाया सोय. बिजली के इस फेर मेँ, काम हुआ न कोय. बिजली इतनी दीजिए, रात नीँद आ जाए. मैँ भी चैन से सो सकूँ, बच्चा भी सो जाए. बिजली आवत देख के, अम्मा करे पुकार. चार्जर तेरा फेँक उधर, लगा मिक्सी का जार. घर के बीचोँ बीच एक, कुआँ लो खुदवाय. बिजली पानी न मिले, फिर भी प्यास बुझ जाए. रहिमन पंखा हाथ का, मत फेँको किसी ओर. ढूंढते हुए हो जाओगे, पसीने से सराबोर. चाहे घर मेँ लगा रखे होँ, कूलर एसी फूल. तुलसी तहाँ न जाइए, बिजली रहती गुल. मोमबत्ती और चिमनी का, गया जमाना बीत. बिजली के इस ड्रामे से, फिर से लौटी रीत. रहिमन घर मेँ केरोसिन, तुरतहिँ लो मंगवाय. क्या जाने कब किस बखत, बिजली गुल हो जाय. Regards, Puneet
more